Sri Krishna Janmasthmi Special
श्री कृष्ण जन्माष्टमी विशेषांक
।।भाद्रपद की अष्टमी अर्धरात्रि बुधवार कारागृह में कंस के लिए कृष्ण अवतार।।
राधे राधे! प्रिय पाठकों आज हम जानेंगे परन्तप परमात्मा के स्वरूप को जो 16 कलाओं से युक्त हैं, और सतोगुण, रजोगुण,तमोगुण तीनों गुणों से ऊपर हैं जो क्षिति, जल, पावक. गगन और वायु को प्रकट करने वाले हैं, इन्हें बनाने वाले हैं। जिन्होंने बचपन में ही खेल खेल में अकासुर, बकासुर, सटक असुर,तृणावर्त और पूतना जैसे विशाल दैत्यों को मार दिया। जिन्होंने मां यशोदा को अपने मुख में ही समस्त ब्रह्मांड के दर्शन बचपन में ही करा दिए। जिन्होंने चोरी भी तो ऐसी की कि लोग आज भी बच्चों को माखन चोर बोलकर प्रसन्न होते हैं। जिन्होंने खेल खेल में ही अपनी कनिष्ठिका उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया, जिन्होंने बांसुरी की मधुर धुन से तीन लोकों को यूंही रिझा लिया।
जिन्होंने मित्रता के भाव भंगिमा को कुछ इस प्रकार प्रकट किया कि मित्र के पैर आसुओं से धो डाले। जी हां हम बात कर रहे हैं करुणानिधान भगवान श्री कृष्ण की और क्योंकि जन्माष्टमी का व्रत अत्यंत समीप है इसलिए उस परन्तप परमात्मा में लीन हो जाना आवश्यक है। उनकी बाल लीलाएं ही कुछ ऐसी है कि उनसे प्रेम किए बिना कोई रह ही नहीं सकता क्योंकि वह खुद ही प्रेम के भूखे हैं।
उनका प्रेम कुछ ऐसा है कि अंजलि भर छाछ के लिए वह ब्रज की गोपियों के सम्मुख नृत्य कर लेते हैं और उन आत्माओं को परमात्मा का मिलन करा देते हैं और वही भगवान श्री कृष्णा विधर्मियों के लिए विराट स्वरूप धारण करके उन्हें पल भर में नष्ट कर देते हैं।
राधिका जू सरकार:
बात श्री कृष्ण की हो और श्री राधिका जी का नाम ना आये यह तो बेईमानी ही होगी श्री राधिका जी भगवान श्री कृष्ण की प्राणप्रिया हैं और अपने जन्म के बाद जब तक भगवान श्री कृष्ण उनके घर नहीं गए उन्होंने आंखें नहीं खोलीं, उन्होंने आंखें भी खोलीं तो भगवान श्री कृष्ण को ही देखने के लिए। रास पंचाध्याई में जिन्हें श्रीमद् भागवत जी का प्राण कहते हैं में श्री राधिका जी के अद्भुत अलौकिक स्वरूप और ज्ञान का वर्णन है जिसे सुन और पढ़ उस परमात्मा को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
द्रोपदी का एहसान:
भगवान श्री कृष्ण की बड़ी बुआ के बेटे शिशुपाल अत्यंत विधर्मी था जिसका वध करते समय भगवान श्री कृष्ण के उंगलियों से थोड़ा सा खून निकलने लगा था। जिसे देखते ही द्रोपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का चीर फाड़ दिया, और उनकी उंगली पर बांध दिया। यहीं एहसान चुकाने के लिए भगवान श्री कृष्ण जब भरी सभा में कौरवों द्वारा द्रोपदी को अपमानित किया जाने लगा तब द्रौपदी के करुण पुकार के बाद दौड़े हुए आये और उनकी लाज बचाई, और कहा कि यह लाज मैंने उस एहसान के सिर्फ सूद से बचाई है, मूल अभी भी वैसा का वैसा पड़ा है बहन। भगवान श्री कृष्ण का यह कार्य हमें यह शिक्षा देता है कि किसी का एहसान हमें कभी नहीं भूलना चाहिए
प्रिय पाठकों भगवान श्री कृष्ण का जन्म अत्यंत प्रतापी महाराज उग्रसेन के विधर्मी पुत्र कंस के राज्य मथुरा में कारागार में हुआ, क्योंकि अत्यंत प्रसन्नता में कंस जब अपनी बहन का रथ विदा कर रहा था और उसे खुद हाँक रहा था, तब भविष्यवाणी हुई कि तेरी इसी बहन देवकी का आठवां पुत्र तुम्हारी मृत्यु का कारण बनेगा, और इसीलिए उसने महाराज वसुदेव और देवकी को बंदी बना लिया। तरह-तरह की यातनाएं देने लगा और उनके हाथों से छीन कर उनके पुत्रों की लगातार हत्या करता रहा।
6 पुत्रों के मारे जाने के बाद बलराम गर्भ में आए जिस गर्भ का प्रतिस्थापन देवी देवकी के गर्भ से वसुदेव की पहली पत्नी देवी रोहिणी के गर्भ में कर दिया गया, और फिर आठवें पुत्र के रूप में परम पद भगवान श्री कृष्ण प्रकट हुए, इतना तेज हुआ कि वसुदेव और देवकी को कुछ दिखाई ना पड़े और नीलवर्ण नारायण अत्यंत छोटे से होकर के चारों आयुध धारण करके उनके सामने प्रकट हो गए और कहा लो माँ पुत्र बन गया मैं तुम्हारा, देवकी जी ने कहा कि मुझे ऐसा बेटा चाहिए जो मेरे सामने रोए, मेरे मारने पर डरे मेरी ममता के लिए मेरी मेरी गोद में आकर बैठ जाए, जब मैं उसे लाड करूं तो वह भी मुझे लाड करें दुलार करे इतना सुनते ही भगवान ने बालक का रूप धारण किया और जोर जोर से रोने लगे। उस समय माया का पर्दा हट गया वसुदेव और देवकी की बेड़ियाँ खुल गयीं। सारे द्वार पाल सो गए कारागार के दरवाजे खुद-ब-खुद खुलते गए, तो भविष्यवाणी हुई की वसुदेव जी इस बालक को ब्रज के मुखिया नंद जी के यहां छोड़ आइए और नंद और यशोदा से जो कन्या हुई है उसे गोकुल से लेकर आ जाइये, राह में चलते वक्त भी भगवान की अनेक लीलायें हुईं, जैसे तैसे वसुदेव जी नंद गांव पहुंचे और वहां से यशोदा जी की कन्या को रात में ही ले करके वापस मथुरा चले आए, और भगवान श्री कृष्ण को वही सुला दिया। बिटिया जैसे ही प्रविष्ट हुई वैसे इतनी जोर से रोना शुरू किया सब जाग गए बेड़ियां अपने आप लग गयीं, कारागार के दरवाजे अपने आप बंद हो गये।
जैसे ही खबर लगी कंस भागता भागता आया और उस बालिका को जमीन पर पटक देने की कोशिश कि उसी समय पर पराम्बा परम शक्ति भगवती ने असली रूप धारण किया और उसके सामने अपनी आठों भजाओं सहित प्रकट हुई और कहा कि क्यों व्यर्थ चेष्टा करता है तुझे मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है।
जन्माष्टमी और पूजन मुहूर्त:
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी अर्ध रात्रि में बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में हुआ, जिसे हम हर वर्ष जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी को लेकर थोड़ी भ्रम की स्थिति है क्योंकि इस बार तिथि और नक्षत्र का योग 1 दिन में नहीं बन रहा है 11 अगस्त को सुबह 9:06 से 12 अगस्त को सुबह 11:16 तक अष्टमी रहने वाली है, परंतु रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को सुबह 3:27 से 14 अगस्त सुबह 5:22 तक रहेगी, अष्टमी में सूर्योदय की वजह से मंदिरों में जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाई जाएगी, परंतु गृहस्थों को चाहिए कि वह अपना व्रत 11 अगस्त को रखें। क्योंकि अष्टमी तिथि और भाद्रपद का समागम भगवान श्री कृष्ण के जन्म में विशेष महत्व रखता है। उस रात्रि 12:00 से लेकर 12:48 तक श्री कृष्ण पूजा का शुभ समय भी है।
यदि जन्माष्टमी को लेकर मन में किसी प्रकार का संशय हो या आप अपनी कुंडली दिखा कर यह जानना चाहते हो कि लड्डू गोपाल को कैसे प्रसन्न करें, तो इसके लिए आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। जीवन में चल रही किसी भी प्रकार की समस्या का उचित और वैदिक समाधान प्राप्त करने के लिए भी हमसे संपर्क कर सकते हैं। जन्माष्टमी पर आप सभी लोग बहुत प्रसन्न रहें खुश रहें, ऐसी परम पिता परम ब्रह्म पूर्ण परमात्मा परमेश्वर श्री कृष्ण से विनती है और वे सदैव हम भक्तों पर प्रेम बरसाते रहें ऐसा निवेदन है।
एक बार प्रेम से बोलिए श्री कृष्ण भगवान की जय, जय जय श्री राधे।।
इन्हीं शब्दों के साथ आज के लिए इतना ही, आपको यह जानकारी कैसी लगी अवश्य बताएं और ऐसी ही जानकारियों को प्राप्त करने के लिए THEJAI.COM और एस्ट्रो मुकेश वत्स से जुड़े रहें, हमारा पता आपको मालूम ही है astro@thejai.com
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