रक्षाबंधन विशेष
बहन सुभद्रा राखी बाँधत बलराम और श्री गोपाल के।।
कनक थार अछत कुमकुम तिलक दियो नंदलाल के।।
आरती करत जननी रोहिणी अंतर बाढ्यो अनुराग के ।
आस्करण प्रभु मोहन नागर प्रेम पुंज व्रज बाल के।।
सर्वप्रथम आप सभी प्रिय पाठकों को राधे राधे और पावन पर्व रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी इस त्यौहार को प्रेम पूर्वक और उल्लास से मनाए और यह सब के लिए शुभ हो ऐसी मेरी ईश्वर से प्रार्थना है। आज मैं एस्ट्रो मुकेश वत्स आपके लिए लेकर आया हूं रक्षाबंधन विशेषांक, आइए जानते हैं इस वर्ष क्या विशेष है, कब राखी बांधने चाहिये, किस समय बचना चाहिये, किस रंग की राखी बांधनी ज्यादा लाभदायक होगी, और साथ में में भी जानेंगे कि पहली बार राखी किसके द्वारा और किसे बांधी गई थी?
पहली राखी::
आइए जानते हैं पहली बार किसने राखी बांधी थी? श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार सर्वप्रथम राजा बलि को राखी बांधी गई थी, मैं इस कथा को विस्तार से कहता हूँ, वामन अवतार में जब भगवान नारायण ने राजा बलि के सर्वस्व साम्रज्य को ढाई पग में नाप दिया था, तब उसके बाद राजा बलि ने उनसे कहा कि अब जो बच रहा है वह सिर्फ मेरा सर है मेरे सर पर अपने पाँव रख दीजिए भगवान ने उनके सिर पर पैर रख दिया और राजा बलि को पाताल लोक में रहने की आज्ञा दी। तब राजा बलि ने भगवान नारायण से कहा कि मैं चला तो जाऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है! क्योंकि परम कृपालु प्रभु अपने भक्तों की बात कभी नहीं टालते तो उन्होंने बलि को वचन दिया कि तुम्हारी जो शर्त होगी वह मुझे स्वीकार होगी तब राजा बलि ने अपनी शर्त कही- कि मैं जब सोने जाऊं जब सो कर उठूं तो जिधर भी मेरी नजर जाए उधर आपको ही देखूं
नारायण ने मन ही मन सोचा यह तो सब कुछ हार कर भी जीत गया है पहरेदार जैसा बना लिया है इसने मुझे, प्रभु कर भी क्या सकते थे उन्होंने वचन दे दिया था बली को, भगवान बलि के साथ पाताल में रहने लगे बहुत समय बीत गया इधर माँ लक्ष्मी बैकुंठ में अकेले निवास करते-करते चिंता में रहने लगीं। तब देवर्षि नारद का आगमन हुआ और उन्होंने पूछा आपने कहीं नारायण को देखा है। तब नारद जी पूरी कथा सुनाई और बताया कि वह राजा बलि के पहरेदार बने हुए पाताल लोक में निवास कर रहे हैं।
लक्ष्मी जी ने उनसे उपाय जानना चाहा कि उन्हें वापस कैसे लाया जाये फिर नारद जी ने बताया कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लें, और उनसे रक्षा का वचन ले और दक्षिणा स्वरूप अपने नारायण को मांग लें। मां सुंदर स्त्री का रूप बनाकर पाताल में जाकर रोने लगीं, उन्हें देखकर बलि ने कहा आप क्यों रो रही हैं देवी? तब लक्ष्मी जी बोलीं कि मेरा कोई भाई नहीं है इसलिए मैं दुखी हूं तब बलि ने कहा आप मेरी धर्म बहन बन जायें। वह बोलीं मुझे स्वीकार है परंतु मैं आपको रक्षा बांधना चाहती हूं, और आपसे आजीवन अपनी रक्षा का वचन लेना चाहती हूं। राजा बलि ने मां से रक्षा सूत्र बंधवाया और उनको आजीवन रक्षा का वचन देते हुए कुछ दक्षिणा मांगने को कहा, माँ ने कहा रहने दो भैया परंतु जब राजा बलि नहीं माने तो माँ ने कहा कि आप पहले मुझे संकल्प करके वचन दीजिए, कि मैं जो भी दक्षिणा मांगू आप उसे स्वीकार कर लेंगे। क्योंकि राजा बलि ने वचन दे चुके दक्षिणा देने की तो उन्होंने संकल्प किया त्रिबाचा किया और कहा दूंगा दूंगा दूंगा।
तब माँ ने कहा आपका पहरेदार चाहिए मुझे जैसे ही उन्होंने पहरेदार माँगा राजा बलि सब कुछ समझ गए और माथा पीट लिया और लक्ष्मीनारायण अपने असली रूप में उनके सामने प्रकट हो गये। राजा बलि उनकी आराधना करते हुए कहते हैं धन्य हैं आप दोनों और मुझे भी धन्य और कृतार्थ कर दिया आप दोनों ने, जो सर्वस्व ब्रह्माण्ड को देने वाले उन लोगों ने मुझसे मांग कर मेरा जीवन सफल कर दिया। प्रभु भक्त का जीवन सफल हो गया आज।
और इस प्रकार से रक्षाबंधन का पर्व शुरू हुआ और इसीलिए जब भी रक्षा सूत्र या कलावा बांधते हैं तब यह मंत्र बोलते हैं-
।।येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।।
रक्षाबंधन और अन्य योग एवं मुहूर्त:
वर्ष 2020 में रक्षाबंधन 3 अगस्त सोमवार को मनाया जायेगा हालांकि पूर्णिमा तिथि 2 अगस्त की रात्रि 9:32 से ही शुरू हो जायेगी, जो अगले दिन 3 अगस्त की रात्रि 9:30 तक रहेगी। इस बार इस पावन त्यौहार पर कोरोनावायरस का ग्रहण लगा हुआ है, परंतु भाई-बहन के प्रेम का यह पावन पर्व कई मायनों में बहुत बेहद खास संयोग बना रहा है। यह रक्षाबंधन बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इस बार अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग बनेंगे और यह श्रावणी पूर्णिमा सोमवती होने की वजह से और शुभ है। यह भद्रा और ग्रहण से पूरी तरह से मुक्त होगा क्योंकि भद्रा सुबह 9:26 पर ही समाप्त हो जायेगा, और भद्रा जैसे ही संपन्न होगा वैसे ही शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। इस रक्षाबंधन पर प्रीति योग भी बन रहा है, चंद्रमा 3 अगस्त को ही मकर राशि में होते हुए पूर्णिमा कि वजह से अस्त नहीं होंगे, और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से होते हुए श्रवण नक्षत्र में विराजमान होंगे जो ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत शुभ संयोग है। कुछ ऐसा ही संयोग 29 साल पहले 1991 में बना था, सभी बहनों को चाहिए किस सिर्फ उद्वेग समय 12:00 से 1:30 के बीच में भाई की कलाई पर राखी न बांधें, बाकी सुबह 9:27 से 12:00 बजे तक फिर 1:47 से सायं 4:28 तक, और रक्षाबंधन का प्रदोष मुहूर्त सायं 7:10 से रात्रि 9:17 तक भी है।
अगर आपके भ्राता की राशि आपको पता है तो राशि अनुसार रंग पसंद करके इस त्यौहार को आप उनके लिए और ज्यादा शुभ बना सकती हैं, राशि के अनुसार निम्नलिखित रंग की राखी पसंद करके, आप इस शुभता को और बढ़ा सकती हैं:-
मेष राशि लाल रंग की राखी बांधें।
वृषभ राशि नीले रंग की।
मिथुन राशि हरे रंग की।
कर्क राशि सफेद रंग की।
सिंह राशि पीले रंग या लाल रंग।
कन्या राशि गहरे हरे रंग की।
तुला राशि गुलाबी रंग की।
वृश्चिक राशि लाल या मैरून रंग।
धनु राशि पीले रंग की राखी।
मकर राशि नीले रंग की।
कुंभ राशि गहरे रंग की कोई भी राखी।
मीन राशि पीले रंग की राखी।
आज के विशेषांक में बस इतना ही, अपने कमेंट करके यह अवश्य बताएं कैसा लगा आपको आज का लेख और मित्रों के साथ साझा करके प्रेम लुटाते रहे और ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहे एस्ट्रो मुकेश से और thejai.com से, विस्तृत कुंडली अध्ययन करवा करके अपने जीवन में शुभत्व को प्राप्त करने के लिए भी आप हमसे संपर्क कर सकते हैं।
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